कभी तुम वो सिगरेट जलाने से पहले बुझाना
शायद सपनो के राख कम मिले फिर ,
ढेर था सपनो का कमरे में
धुएं में सही से देख नही पाती अब
एक पन्ने पे लिखा था
तुम्हारी मेरी
हमारी पसंद
जल गयी वो कुछ कुछ
मेज पर पड़े पड़े
कल खिड़की खोल दी थी
बिंदी टेड़ी लग जाती थी
आइना धुंधला सा पड़ गया है कुछ
होठ गुलाबी ही है न
देखना चाहती थी
वो तुमसे मिल के कही...
कभी उनको देखा
जिन्हे मैंने आधे पे
बुझा दिया था
वो कही गिरी
जलती बुझती मर जाती है
तुमसे छूटते ही
हमारा साथ, सपना, दिल
उस आधी जली
सिगरेट सी हो गयी है।
आज हाथ की पकड़ में
उसी की महक थी
कल भी
तुम्हरी महक भूल गयी मैं जैसे
कभी सिगरेट जलाने से पहले मिलना
शायद तुम्हे मेरी महक मिले
कभी सिगरेट जलाने से पहले बुझाना
उन आधी सिगरेट की जगह
अपने अधूरे सपने याद आये
तू मैं एक ज़िन्दगी समझ आये
नाराज़ हो के न जा
ये झगड़ा एक डिब्बी सिगरेट का नही
मैं तो आधी बुझती जलती
जान के लिए लड़ रही
चाहे वो सिगरेट हो
या फिर हम
वो जलती है और हम मरते है
सच में, कभी सिगरेट जलाने से पहले बुझाना
शायद सपनो के राख कम मिले फिर ,
ढेर था सपनो का कमरे में
धुएं में सही से देख नही पाती अब
एक पन्ने पे लिखा था
तुम्हारी मेरी
हमारी पसंद
जल गयी वो कुछ कुछ
मेज पर पड़े पड़े
कल खिड़की खोल दी थी
बिंदी टेड़ी लग जाती थी
आइना धुंधला सा पड़ गया है कुछ
होठ गुलाबी ही है न
देखना चाहती थी
वो तुमसे मिल के कही...
कभी उनको देखा
जिन्हे मैंने आधे पे
बुझा दिया था
वो कही गिरी
जलती बुझती मर जाती है
तुमसे छूटते ही
हमारा साथ, सपना, दिल
उस आधी जली
सिगरेट सी हो गयी है।
आज हाथ की पकड़ में
उसी की महक थी
कल भी
तुम्हरी महक भूल गयी मैं जैसे
कभी सिगरेट जलाने से पहले मिलना
शायद तुम्हे मेरी महक मिले
कभी सिगरेट जलाने से पहले बुझाना
उन आधी सिगरेट की जगह
अपने अधूरे सपने याद आये
तू मैं एक ज़िन्दगी समझ आये
नाराज़ हो के न जा
ये झगड़ा एक डिब्बी सिगरेट का नही
मैं तो आधी बुझती जलती
जान के लिए लड़ रही
चाहे वो सिगरेट हो
या फिर हम
वो जलती है और हम मरते है
सच में, कभी सिगरेट जलाने से पहले बुझाना
5 comments:
Still the same question remains ....... zindagi ko itni baareeki se dekhne ka hunar kisi me itna kaise ho skta h ki uske har ek lafz me zindagi ki bareeki aur smjh dono ek hi sath bayaan ho.....
Waise hi jaise cigrette jalane ke phle bujhayi jati hogi...matlab dono hi baatein jo aapko samjh aayi, sirf aapki achi soch hai..vaastavikata me mera vaastavikata se Koi lena dena nhi hai. Ye to bs kuch chura liya kisi k pal se... ;-)
Ye pahli line padhi thi kahin...aur fr chura liya kisi ki zindagi ka kuch hissa...
Thank you
Zindagi ki saadgi ko khoobsoorti se bayaan krne ka hunar to koi aapse seekhe. ...doosre k pal se chura k apne zubaan me is vastavikta ko dikhana aur uske baad saamne waale ki acchi soch ki tareef kr dena itna b asaan ni....
Thank You
बहुत ही खूबसूरत कविता लिखी है। आपने बहुत ही अच्छे तरीके पुरे रूप को समझाया है । आपकी यह रचना बहुत अच्छी है। आप शब्दनगरी पर भी ऐसी रचनाएं लिख सकते हैं। वहां पर भी तलब ऐसी की फ्लाइट में चुपके से फूंक ली सिगरेट , उसके बाद जो हुआ जैसे लेख पढ़ व् लिख सकते हैं।
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