खंडहर मकान
एक खंडहर मकान जिसमे ईंट पत्थर सीमेंट से बना ढाँचा है रंगाई पोताई भी हुई है रंगों से बग़ैर इंसानों के उस आशियाने में जंगली झाड़ियों, कीड़ों और अंधेरों ने क़ब्ज़ा कर लिया है ऐसा ही हो जाता है जो कहता है कि मेरे अपने मेरे साथ नहीं कोई उन्नीस साल की लड़की दूरस्थ किसी के बहकावे में, कोई नौजवान किसी के इश्क़ में, जब उसका साथ ना मिले तो खंडहर हो जाता है जब एक माँ अपनी बिटिया की जान गवाँ बैठती है बाप समाज में रीढ़ सीधी किए मुस्कुराता चलने का आडंबर करता है अंदर से खंडहर उसी मकान की तरह, जब साथी का साथ किसी और के साथ उसे महफ़ूज़ लगे, अपना घर के ताले ख़ुद बू ख़ुद खुल जाते हैं सब घुसने लगते हैं खंडहर में, वीरान जंगल से जानवर भी रुठ जाते हैं वो ना रुठते तो शायद जंगल ज़िंदा हो जाता फिर से शायद उनके जाने से ही वीरान हो गया वो खंडहर उस मकान जैसा, उसने अपनी अम्मा की बीमारी में खूब मन लगाया ख़िदमत की अम्मा ना रही उसके दिल का एक कोना खंडहर हो गया अपनी ज़िम्मेदारी और मोहब्बत की इबादत में, उसने अपना भाई खोया रास्ते में पड़े हर मंदिर और उसमें बसाये गये हर भगवान नुमा मूर्ति के स