दुनिया में तमाम उलझने
बगावत सितम के किस्से और ज़ुल्म हैं
मेरे अपने इश्क़ और इंतज़ार की नज़्मों ने जगह रोक रखी है
हैरान हूँ अपनी दीद पर
जो मोहब्बत को मसला
और तमाम मसलों की ताबीर मानती है।
Post a Comment
दुनिया में तमाम उलझने बगावत सितम के किस्से और ज़ुल्म हैं मेरे अपने इश्क़ और इंतज़ार की नज़्मों ने जगह रोक रखी है हैरान हूँ अपनी दीद पर ...
No comments:
Post a Comment