Wednesday, 6 January 2016

नींद के पहले का मष्तिस्क भ्रमण: मेरे देश का नाम


ऐसे लगता है, देश भी जॉइंट फॅमिली में रहता था। जिसको जो पसंद आया वो नाम रख दिया। कोई हिंदुस्तान तो कोई भारत, दादा जी या परदादा जी ने शायद आर्यावर्त रखा होगा। ऐसे भारी भरकम नाम वही लोग रखते है और सोने की चिड़िया दादी नानी या बुआ ने। ऐसे प्यारे से बिगड़े नाम वही रखते है। या फिर मौसी भी। दुलार से ये सब ऐसे नाम से घर में बुलाया करते है। ये नाम खासियत पे रखे जाते है। और तब हमारे यहाँ सोना खूब होता था। कोई चाची होगी बाहर से पढ़ के आई होगी, चाचा बाहर ही कही नौकरी करते होंगे, उन्होंने देश का नाम इंडिया रख दिया होगा। कितने सारे नाम बुलाने के। लगता है भारत नाम दादा जी ने या फिर बड़के पापा ने रखा होगा तभी तो वही नाम ऑफिसियल रखा। स्कूल में और कागजो पे लिखवाने के लिए।
क्या मुसीबत है पर मज़े भी बहोत है। साथ के उसी उम्र के और देश भी है उनके तो एक या ज़्यादा से ज़्यादा दो नाम है। पाकिस्तान नेपाल ही देख लो। हो सकता है ये न्यूक्लिअर फॅमिली में रहते हो। आज कल तो सब नेट से जुड़ गए है। अब पता चलता है की कुछ कुछ देश के तो इतने मज़ाकिया नाम रख दिए है कि जब एनुअल मीटिंग में मिलते होंगे तो यार दोस्त खूब चिढ़ाते होंगे। शुक्र है अपने देश का नाम ठीक सा रखा।
पर मैं भी जॉइंट फॅमिली में रही फिर मेरा ढेर सारा नाम क्यों नही रखा मेरे घर वालो ने??😮😏

1 comment:

Pankaj Dixit said...

सुन्दर एवम् बहुत ही रोचक मस्तिष्क भ्रमण है....
उम्मीद है इस विषय पर ही नींद के पश्चात वाला भ्रमण भी पढ़ने को मिलेगा....।

हमको घर जाना है

“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...