Thursday, 24 October 2013



जैसे चाँद का मजहब नहीं पूछा तूने 
कि वो है किसका
दोनों ही इंतज़ार करे.…ईद हो या करवाचौथ की रात
तो क्यों बाटें हमे इन जंजीरो में 
जीने दो हम जैसे जीना चाहे...जिसके हो कर जीना चाहे...

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हमको घर जाना है

“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...