Friday, 25 October 2013


वक़्त की हर चाल समझते रहे और हम भी बाजी चलते रहे ,
कभी हम जीते तो कभी मात दे गया वो हमे.…
पर वो कभी न रुका और ना ही हारा,
जब हम जीते तो ख़ुशी बन ना रुका वो मेरे संग,
और जब हारे तब भी वो न रोया मेरे संग,
वो तो चलता रहा..  ग़ुजरता रहा..बेफिक्री का जामा ओढ़े,
और एक हम कि हर कदम उस वक़्त की दुहाई दे हसते और रोते रहते है…

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हमको घर जाना है

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