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मेरे पास हर टुकड़े पर उसे पूरा करने की खता करने वाला एक शख़्स मौजूद था मौशिक़ी हो या हिमाक़त शिक़वा हो गया माज़रत हसना हो सखियों संग ...
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इस दुनिया में आने का एक ही तयशुदा माध्यम पहली किलकारी और रुदन का एक तय एहसास अगर भाग्यशाली हैं तो पहला स्पर्श पहला स्तनपान पहला मम...
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दबे छिपे ख़्वाब जो मैं जानती भी नहीं कहीं छिपे हैं बेनाम बेपता बेतरतीबी से आँखों से इशारे करने थे ज़ोर की सीटी बजानी है बांसुरी बजाना...
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