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हमको घर जाना है
“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो मेहनत की थकान उदासी नहीं देती या हो किसी से मायूसी...
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दबे छिपे ख़्वाब जो मैं जानती भी नहीं कहीं छिपे हैं बेनाम बेपता बेतरतीबी से आँखों से इशारे करने थे ज़ोर की सीटी बजानी है बांसुरी बजाना...
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हर दिन सुबह सुबह, खैर, मेरे लिए तो शाम या दिन का कोई भी वक़्त होता है, अख़बार के पेज पर काले और रंग बिरंगे छपे अक्षरो के जोड़ तोड़ से बने कुछ...
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