पहली जनवरी
नए साल का नया दिवस
पहली जनवरी की सुबह सुहस
एक बैरक में बंद
दो आँखे झांक रही थी
कोई मिलने आया
ये संदेसा सुनने को ताक रही थी
रात में कोड़ो की बारिश थी शायद
बगल वाले बैरक में
मुस्कराहट कराह रही थी
कहते है पांच क़त्ल किया है
अपने बाप की मौत का बदला लिया है
जेल की सलाखों से
दो आँखे मैदान झाँक रही थी।
उसने देखा कदमो की
आलसी कदम ताल
जैसे अंधेरो में
उंगलियो का तुरपाई पे हाल
उसके पैरो की हलचल
काँपना बता रही थी
आँखे पैरो से तेज़ भाग रही थी
कोई आया है
ये संदेसा सुनने तो ताक रही थी।
एक बच्ची झोला टाँगे
बाहर नीले गेट पे
जेल के बड़े गेट पे
घर के लड्डू में ज़हर
नपवा रही थी
कोई आया है
यर सुन पैरो से तेज़
अंखिया भाग रही थी
"बिटिया आई है
रोना नही है"
"पापा आएंगे
रोना नही है"
दोनों ही अंखिया
ओस में डूबी दूब सी
मुस्कुरा रही है
दिल की धक् धक्
ऊ तेज़ उड़ती चिड़िया सी
दौड़ रही है
नया साल अच्छा हो
ऐसे बोल बिटिया पापा को
इक मीठी गुझिया खिला रही है
अच्छे नंबर लाना
खाकी वर्दी
बिटिया को सीख सिख रही है।
जाते जाते फिर से पूछ पड़ा कोई
कानूनी कागज़ तो नही पर
उनकी बतियाँ
पापा को बिना मुक़दमे
कातिल बता रही है
ये जेल की सलाखें
उनको एक मुजरिम बना रही है।
पहली जनवरी की सुबह सुहस
एक बैरक में बंद
दो आँखे झांक रही थी
कोई मिलने आया
ये संदेसा सुनने को ताक रही थी
रात में कोड़ो की बारिश थी शायद
बगल वाले बैरक में
मुस्कराहट कराह रही थी
कहते है पांच क़त्ल किया है
अपने बाप की मौत का बदला लिया है
जेल की सलाखों से
दो आँखे मैदान झाँक रही थी।
उसने देखा कदमो की
आलसी कदम ताल
जैसे अंधेरो में
उंगलियो का तुरपाई पे हाल
उसके पैरो की हलचल
काँपना बता रही थी
आँखे पैरो से तेज़ भाग रही थी
कोई आया है
ये संदेसा सुनने तो ताक रही थी।
एक बच्ची झोला टाँगे
बाहर नीले गेट पे
जेल के बड़े गेट पे
घर के लड्डू में ज़हर
नपवा रही थी
कोई आया है
यर सुन पैरो से तेज़
अंखिया भाग रही थी
"बिटिया आई है
रोना नही है"
"पापा आएंगे
रोना नही है"
दोनों ही अंखिया
ओस में डूबी दूब सी
मुस्कुरा रही है
दिल की धक् धक्
ऊ तेज़ उड़ती चिड़िया सी
दौड़ रही है
नया साल अच्छा हो
ऐसे बोल बिटिया पापा को
इक मीठी गुझिया खिला रही है
अच्छे नंबर लाना
खाकी वर्दी
बिटिया को सीख सिख रही है।
जाते जाते फिर से पूछ पड़ा कोई
कानूनी कागज़ तो नही पर
उनकी बतियाँ
पापा को बिना मुक़दमे
कातिल बता रही है
ये जेल की सलाखें
उनको एक मुजरिम बना रही है।
Comments
There is no need for any further explanation for following lines....The gravity in themselves smiling at meaning.
"...जेल की सलाखों से
दो आँखे मैदान झाँक रही थी।"
"..ये जेल की सलाखें
उनको एक मुजरिम बना रही है।"
aapane jail ko kab itne najdeeki se dekha?