मुझे रोना अच्छा ही लगता होगा
तभी तो मैं हर बात पे रो देती हूँ,
जो कड़वी होती है
जो चुभती है
जो दिखती है कि गुस्से में निकली है
जो तकलीफ पहुचाती है
वो कहते है कि रोना कमजोरी है
मेरे आंसूं मेरी बेवकूफी है,
मेरी कमजोरी है
फिर भी,
मैं हर बार रोती हूँ।
जब रोऊँ उनके लिए
तो वो 'इमोशन' होता है
जब रोऊँ उनकी बातों पे
तो, 'इमोशनल फूल' होता है।
मैं जब रोऊँ अपने लिए
तो, 'बेवकूफ' हो जाती हूँ।
जब न समझ पाऊं
उनकी चालक बातें
तब रोने पे
'कन्फ्यूज्ड' कहलाती हूँ।
मैं 'लड़की' हूँ
इसलिए 'अक्सर' रोना
'आदत' होती है मेरी।
'फेमिनिस्ट' वाले टैग से
अब आफत होती है मेरी।
फिर भी,
मैं हर बार रोती हूँ।
शायद,
मुझे रोना अच्छा लगता होगा।
बुरी आदत में रहना अच्छा लगता होगा।
'लड़की' हूँ
इसलिए 'माफ़' है,
वरना इतने आराम से
खुले आम
ये कह न पाती
मुझे रोना अच्छा लगता होगा।
2 comments:
बहुत सुंदर.आपकी रचनाओं में विविध भाव देखने को मिलते हैं.
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dhanyawaad Rajeev ji :-)
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