Friday, 26 June 2015

बातें हमारी; हमारे बीच की 2

मैं नहीं आउंगी पास तुम्हारे
पर तुम दूर नहीं जाओ।

नहीं कहूँगी कि तुम याद आये
नहीं कहूँगी कि प्यार है तुमसे
पर तुम दूर नहीं जाओ।

नहीं होगी अब ज़िद मिलने की
एक बार सीने से लगा के
प्यार करने की
पर तुम दूर नहीं जाओ।

नहीं होगी कोई ऐसी बातें
जो प्यार करने वाले करते होंगे
तुम कहते हो तो
ठीक है,
नहीं मांगती वादे तुमसे
ना कोई कस्मे
पर तुम दूर नहीं जाओ।

रह सकती हूँ बिना तुमसे बोले
पर गुस्सा नही करो
चुप न हो जाओ
तुम दूर नही जाओ।

मैं नहीं आउंगी पास तुम्हारे
पर तुम दूर नहीं जाओ।

सच में, जीने की ज़रूरत में
नहीं मांगूगी अब बेवजह हिसाब
करुँगी पूरे काम
नहीं आउंगी तुम्हारे पास
पर तुम दूर नहीं जाओ।

अच्छा नहीं करुँगी
उँगलियों के बीच उंगलियाँ फसा के
हाथ की पकड़ से अपने प्यार की माप
नहीं करुँगी
कनखियों से तुझे देखने की कोशिश
की तभी पता चला था उस रोज़
कि तू भी देखा करता है यूं ही
नहीं मांगती तुमसे
साथ तुम्हारा
पर तुम दूर नही जाओ

मैं नहीं आउंगी पास तुम्हारे
पर तुम दूर नहीं जाओ।

2 comments:

Satyendra said...

Behad saral aur achhi rachana. Bhavon ko flow dekhate hi banta hai. Ab tak ki aapki sabse achhi kavita.
... नहीं करुंगा कमेंट बस,
कमेंट में क्वालिटी ना मांगो/चाहो

Kehna Chahti Hu... said...

हाहाहा...क्या बात!
शुक्रिया मित्र...आपके स्नेह के लिए आभार

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