मुस्काती मादा

मुस्काती कुछ शरमाती
अद्भुद रंग दिखाती
मादकता फैलाती
प्रेम प्रपंच कराती
वो मुस्काती मादा
हर नर इठलाती
वो मुस्काती मादा।

कोई संग प्रयास करे
कोई डंक आघात सहे
सुविचार समाप्त करे
कामुकता फैलाती
वो मुस्काती मादा।

सुर असुर कलंकित
नर जीवन संहार करे
मंथन का परिणाम
भूल न पश्चाताप करे
वो मुस्काती मादा
हर नर इठलाती
वो मुस्काती मादा।

राजनीती में अस्त्र बनी
दुर्योधन का शस्त्र बनी
कान्हा का उपचार है वो
अर्जुन का संहार है वो
वो मुस्काती मादा।

सीता का स्वरुप वही
लज्जा ममता मान वही
स्त्री रूप सिंगार वही
कोमलता अभिमान वही
वो मुस्काती मादा।

कुलटा रूप स्वरूपिणी
पूतना तड़का डायन वो
अभद्र दूषित लक्षिणी
सर्व कुल विनाशिनी
वो मुस्काती मादा
हर नर इठलाती
वो मुस्काती मादा।

माँ की ममता छाव वही
यशोदा देवकी नाम वही
गोपी रास लुभावन
कृष्णा मनभावन
वो मुस्काती मादा
हर कान्हा इठलाती
वो मुस्काती मादा।

चंडी काल कपाल वही
काली दुर्गा रूद्र वही
भीषण अग्नि ज्वाल वही
सृष्टि रचयिता शक्ति वही
शंकर की सती वही
वो मुस्काती मादा।
वो अद्भुद माँ की ममता
ईश्वर की पराकाष्ठा
वो मुस्काती मादा
हर मन पावन
वो मुस्काती मादा।


Comments

Pankaj Dixit said…
This comment has been removed by the author.
Pankaj Dixit said…
sunder charitra-chitran... vastavik samajh gahari paith.... chun-chun kr shabda rupi moti anterman se nikle....“badhae swikare....."

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