Saturday, 23 August 2014

One is not born, but rather becomes, a woman.
- Simon de Beauvoir

माँ की क्षमता  मत आंको
बापू की दुविधा तुम समझो
हो लड़की तुम, कोई सहारा नहीं
बेटो सी बराबरी मत मांगो
क्या करना पढ़ लिखकर गुड़िया
जाना एक दिन दूजे गाँव तुझे
क्या करना जान समझ के ये दुनिया
चलना है दबे पाँव तुझे

कौन सा राकेट बनाएगी
ताउम्र रोटी ही तो तू बनाएगी
तो करने दे बेटों को आगे
जीवन भर तू उनको ही तो सजाएगी
देख माँ को अपनी
बापू की छाया दुनिया उसकी
तू भी ऐसा ज्ञान सीख
रोशन करने का काम सीख

रोती वो बेटी आज सुबक
ले बापू भाई की थमी ठंडी अकड़न
माँ की गर्म आहों को
पिछली सूखे की आंधी में
हमे आंसू के समंदर में डुबो गए
धीरता नहीं बचा पायी
ये दुनिया की बातें नहीं हँसा पायी
जिसे सुन मैं बड़ी हुई
जिसे जान मैं लड़की बनी
इस उधारी की ज़िन्दगी में…
वो बतियाँ नहीं समझ आई.

अब सब बेमानी लगता है
ये थक कर खुद को सुला गए
मुझ माँ बेटी को
फिर से झुलसा गए
पढ़ने मुझको भी दे देते 
आज माँ संग रो के सोती नहीं 
बापू जैसी उठती सुबह में 
काम खरच को ले आती  
बना दिया अपाहिज अब 
सब कुछ हो कर बेकार हुई 
रोटी जुगाड़ हो जाता है 
इन्सानी ज़िन्दगी दूजो के नाम हुई 
पढ़ने दो हमको 
जानने दो.... दुनिया की समझ पहचाने दो 
किसे क्या पता 
तुम कब गिर जाओ 
ऐ स्वार्थी मानुस .... अपने लिए ही सही 
हमे भी जीने दो 

हमे अपनी ज़िन्दगी जीने दो।

Your daughter does not have to bound by fate 
she needs to be allowed the power to create her own fate - Urmi Basu

  photo courtesy: google

इसे पढ़ कर मेरे बहुत से मित्र इस बात से इत्तफाक नहीं रखेंगे।  उनका मानना है की अब लड़कियों की स्थिति में काफी हद तक सुधर आ गया है. आपकी इस पॉजिटिव सोच और तथ्यों का मैं स्वागत करती हूँ और ख़ुशी प्रकट करती हूँ।  ये बात भी avoid नहीं की जा सकती की ये तबका अभी भी कुछ नंबर में सिमटा हुआ है.                                                                                                                                           

हमें इस सवाल को ही ख़त्म कर देना है कि.... लड़की अपने हक़ के लिए लड़े।  ये उसका है और उसे मिल रहा है. 



4 comments:

vishwadeep tripathi said...
This comment has been removed by the author.
vishwadeep tripathi said...

Written on an old platform but applicable in modern society too.

Kehna Chahti Hu... said...

unfortunately, aaj bhi ye 'sach' hai

संजय भास्‍कर said...

बहुत ही सुन्दर भावो से सजी ये पोस्ट लाजवाब है।

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