रूबरू : अपने दिल से (पार्ट १)

गर मैंने माना तुझे अपना 
दोनों के लिए क्या ये मुश्किल है
रहना जैसे हम दोनों हैं
मेरी कमियों से न तू नाराज़ 
तेरी कमियों को कर मैं नज़रअंदाज़
क्या नहीं कर सकते एक दूजे से प्यार

अगर नहीं ....
तो मैं क्यों हूँ
तुम क्यूँ हो मेरे अभिमान
मेरी कमियों पे गिरा देते हो गंदे शब्दों का भण्डार
दब जाती हैं उसमे मेरी सारी अच्छाई
हो जाती खुद ही प्रश्न चिन्ह
बन कर हम दो की नज़रें
तब तुम भी नहीं  होते संग मेरे
क्यों की तुम चिढ़  जाते मेरे ढंग से

कितनी दफे मैं समझना चाहूँ
न समझ सकी
आज यही सोच फिर सोयी हूँ
की तुम मेरे
मैं तेरी
आगे न कुछ जानू  मैं
बस तुझको अपना मानू मैं
बस तू भी ऐसे सोता हो
ये सोच रोज मैं सोती हूँ
हर दिन तेरे चिढ़ने से.… सच, मैं डर के सोयी हूँ

किसी रोज तू अनबन को जामा पहना दे अलग होने का
मेरा ढंग बने कारण  वो
मैं और तू भाजक न बन जाये
मैं सच में डर  जाती हूँ
तुझसे और लिपट सो जाती हूँ
तुझसे और लिपट सो जाती हूँ।

मैं सच में तुझे समझती हूँ
हर दिन यही सोच के जीती हूँ।
मैं आधी तुझसे खुद को पूरा करती हूँ
मैं ऐसे ही कुछ जीती हूँ
इसीलिए तो कहती हूँ
कि वो तू ही है
जो मुझसे प्यार करता है
और  मैं तुमसे प्यार करती हूँ।




Comments

Unknown said…
Heart touching!!!
deep sense, tough Hindi :) though reflects complications of relationships probably one sided.
ummeed hai hindi samajhne me dikkat nahi aati hogi...it doesnt contain 'one sided'... but one side in 'part one' :-)
Unknown said…
Haath ki lakeero ko nahi dekhte parinde...
Jo bhi daana de... Kha lete hain...

Warm wishes
Ankit Raghuvansh...
Director
Warner Bros Productions
Mumbai
Unknown said…
Hath ki lakeero ko nahi dekhte parinde...
Jo bhi daana de... Kha lete hain...
Anki Raghuvansh
Director
Warner Bros Productions
Mumbai

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