Saturday, 23 November 2013

एक कहानी

एक पन्ना बयां करता  मेरी कहानी
चली मैं राजा के पलकों से
जीने दुनिया की रवानी
रानी थी उदास
कि मैं ना थी समझदार
थी उनकी गुड़िया
एकलौती और शैतान
पर दुनिया से बे खबर
हर डर से अनजान।
जिस रोज़ मैं चली
रानी रोती रही और कहती रही
कैसे कहूं इस जहाँ की कहानी
धूप-छाँव सी है ये ज़िंदगानी
मैंने हंस के कहा
राजा संग लिपट के कहा
ठंड में धूप और तपन में छाव संग
बना लूंगी अपनी कहानी।

राजा  हंसा और दिया अपना ख्याल
तू भरोसा मेरा
ना डरना बेकार, हर पग मैं तेरे ही हाल
रखना अपना ख्याल
ना अलफ़ाज़, न जुबां, इशारों में छुपा सब ज्ञान
आँखों से पढ़ना दुनिया का हर विज्ञान
प्रकृति भी करे इशारों का संवाद
आंसू तेरे दोस्त, हंसी दूजो का साथ
परिपक्वता तेरी पहचान, अभिलाषा मेरा अभिमान
चरित्र सदैव धैर्यवान, साख दूसरों का ज्ञान
पथ अग्रसर रहो , देवी तुम दुर्गा बनो
राजकुमारी हमारी अब तुम आगे बढ़ो
सबकी हंसी
लाखो सवालों का जवाब बनो
ज़िन्दगी के धूप की छाँव
और छाँव में शालीन बनो
हर स्वरुप, हर विषय
इंसान बनो
दिव्य करो।

शुक्रिया दोस्तो,  यह सफ़र आप जैसे हमराही जुड़ने से ही तो खूबसूरत सफ़र कहलाता है। 

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