Saturday, 26 October 2013

Kehna Chahti Hu...: waqt k nishaan

Kehna Chahti Hu...: वक़्त की हर चाल समझते रहे और हम भी बाजी चलते रहे ...: वक़्त की हर चाल समझते रहे और हम भी बाजी चलते रहे , कभी हम जीते तो कभी मात दे गया वो हमे.… पर वो कभी न रुका और ना ही हारा, जब हम जीते तो...

Friday, 25 October 2013


वक़्त की हर चाल समझते रहे और हम भी बाजी चलते रहे ,
कभी हम जीते तो कभी मात दे गया वो हमे.…
पर वो कभी न रुका और ना ही हारा,
जब हम जीते तो ख़ुशी बन ना रुका वो मेरे संग,
और जब हारे तब भी वो न रोया मेरे संग,
वो तो चलता रहा..  ग़ुजरता रहा..बेफिक्री का जामा ओढ़े,
और एक हम कि हर कदम उस वक़्त की दुहाई दे हसते और रोते रहते है…

Thursday, 24 October 2013



जैसे चाँद का मजहब नहीं पूछा तूने 
कि वो है किसका
दोनों ही इंतज़ार करे.…ईद हो या करवाचौथ की रात
तो क्यों बाटें हमे इन जंजीरो में 
जीने दो हम जैसे जीना चाहे...जिसके हो कर जीना चाहे...

हमको घर जाना है

“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...