वो मेरे बिना रह सकता है
अब ये सवाल नहीं रहा
वो रह के दिखा रहा है
जहां मैं ना होऊँ
वहाँ अपनी दुनिया बसा रहा है
एक सुई सी चुभे
जिसमें टन का भार भी हो
ऐसा दर्द होता है
साँसें लेने में
दिल डूब जाता है
मैं फिर उसी कमरे के कोने में
बैठ जाती हूँ
उस रात तो उसने अपने पास बुला लिया था
पर अब नहीं बुलाता
प्यार ऐसे ही अचानक नहीं
धीमे धीमे ख़त्म हो जाता है
मैंने ख़ुद को सहेज लिया है
चोट लगने से डरती जो हूँ
दिन में हंसती हूँ खुल के
रातों में ख़ुद के साथ की
बेईमानी का बोझ आंसू से धो देती हूँ
और ग़द्दार आँखें
अगले दिन
मुँह सूजा सबको बताती फिरती हैं
कि कल रात ये भीगी थी
बवंडर में बारिश में जकड़ी थी
इंतज़ार यूँ ही नहीं
धीरे धीरे आदत बन जाता है ।
उसका प्यार ख़त्म हुआ
मेरा इंतज़ार बढ़ गया।
2 comments:
Hii garima
Jivan ki suruat ghar se nikale pahle kadam se hoti hai raste anjan hote hai aur log bhi anjan aur kabhi kabhi un anjan me se koi apna sa lagane lagta hai usse umid kai bade jod leti ye jindagi ye darde jindagi mile na mile khud b khud mol lehi ye jindagi
Abadesh kumar
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