वीआईपी होना एक हुनर है
और जो नहीं है वीआईपी उनके लिए एक एहसास
जहां भीड़ से दूर
चंद लोग बेहतरीन व्यवस्था का आनंद लेते हैं
लोग पसीने में
वो एसी और ठंडी हवा में
पानी ठंडा और ख़ाना गरम
ख़ाना देने वाले सलीक़े सीखे हुए
बैठने के लिए चंद कुर्सी
और उससे कम बैठने वाले लोग
खाने के लिए अलग जगह
साफ़ सुथरी
यहाँ तक कि
पेशाब वाली जगह भी साफ़ और महकाऊ भी
यह एहसास अपनी ज़िंदगी में कुछ हासिल ना कर पाने
या कम हासिल कर पाने
या पीछे रह जाने की कसक को झुठला देता है
किसी एक जगह
जिसे पॉवर सर्किल कहते हैं कुछ लोग
सर्किल ही है
तुम उनको वो तुमको एक दूसरे को
गोल गोल घूम के लेने देने का कार्यक्रम करते रहते हैं।
इस पॉवर सर्किल में रहने का दंभ
और ख़ुद को एक अदद जानता से ऊपर समझने की झूठी दखल
फिर अगले पल उसी भीड़ में ख़ुद को पा
सचाई का रस्सा पकड़
ख़ुद की असलियत को मानने की
महानता से ख़ुद को फिर से खुश के लेते हैं
और कुछ पल के वीआईपी के एहसास से
आस पास और दूसरी जानता से ऊपर होने का एहसास
उन्हें कुछ पल के लिए
मरी हुई लाश में हलचल दे देता है
आज इसी हलचल में हिचकोले खा के आ रही हूँ।
1 comment:
👌👌 Satya
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