Monday, 22 April 2019

प्यार करने वाले हिसाब नही मांगा करते

प्यार करने वाले हिसाब नही मांगा करते
साथ देने वाले कदमो के साथ जुबां की चहलकदमी कर
एहसान नही जताया करते
उसने तोहमद लगाई कि
मुझे रिश्तों की समझ नही
उसे कौन बताये
मोहब्बत करने वाले
ऊंच नीच की गफलत में सर खपाया नही करते
वो समाज से बड़ा खौफ खाये बैठा है
मुझसे रुठ के
सौ रुस्वाई लिए बैठा है
बड़े दोजख किस्म के ताने है
उनपे खफा हो जाऊं
तो बेवफाई का खिताब लिए बैठा है
कैसे बताऊ कि
इश्क़ किया था मैंने
दुनियावी तिलिसमो से बची थी
तो पाक थी
वो कहता भी है कि
तू पाक हुआ करती थी कभी
अब नही
अब तू बदल गयी
कैसे समझाये कि
हसरतों से लड़ते हुए
काफ़िर हो जाये
तो इबादत का हुनर नही जाया करते
तौर तरीकों में बेशक फर्क होगा वाजिब
पर हर फर्क पे
गैरों सी शिकायत कर
उन्हें कैद कर अल्फ़ाज़ों के ज़जीरों से
मुस्कुराती हुई तबस्सुम नही मांगा करते
इश्क़ करने वाले
कभी हिसाब नही मांगा करते
हुम् भी बेगैरत हो गए
वरना मोहब्बत वाली भी
कभी जवाब में माफी नही मांगा करते
हरगिज़ अपनी इश्क़ को सवाल में तौला नही करते।
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उसने गिना दिए हर रोज़ के किस्से
उसका मेरे लिए बाअदब हर इश्क का साफा
बात दिए मेरे हर फक्र को
खालिस एक दिखावा
तौल डाला अपने पैमाने से मेरा इश्क़
मै लड़ पड़ी बेगैरत खुद को सुन
उसने बाइज़्ज़त बेदख़ल कर दिया हर इकरार से
मैं गला फाड़ चिल्लाती रही बेख़ौफ़ गुस्से में
वो लगातार मेरी हिमाकत पे
एक दलील बताता रहा
आखिर में वो बोल उठा
मैं हार गया
और मैं अपने अक्स और चिल्लाने के फर्क को भी न समझा पायी
पिछले दिनों वो धमकी जैसा आया
मै न सन्नाटा रह पायी
न चिल्ला पायी
न उसे रोक पाई
न खुद जा पायी
वो फक्र से कह गया
कि मैं ही बेवकूफ हु
के
प्यार किया था तुझे
शायद इसलिए हिसाब मांग रहा
मैं पेज खोल इतना ही लिख पायी
कि प्यार करने वाले हिसाब नही मांगा करते।

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“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...