Thursday, 10 May 2018

क्या मैं तुमसे प्यार कर सकती हूं?

क्या मैं तुमसे प्यार कर सकती हूं?
ऐसे निगाहों से अटपटे सवाल न पूछो
किया है मैने प्रेम तुमसे
मैने आंखों में हसरत संजोयी है
कि मैं तुम्हारे सिर को
अपनी गोद में लेकर बैठी रहू
बिता दूँ सारे पहर
गोद...हाँ गोद
जांघ भी आया जेहन में लिखने को
पर इस शब्द की मादकता
मेरे नवजात इश्क़ को आवारा न बना दे
शब्दो का भी ग़ज़ब खेल है
 इस मोहब्त की शतरंज में।
हाँ तो, शब्दों के चक्कर मे नया प्यार क्यों ही पडे,
अभी तो गुज़ारिश हो रही है
क्या मैं तुम्हे प्यार कर सकती हूँ?
कि तुम्हारे बालों में उँगलियाँ फेरते बीत जाए लम्हे
सारी थकान निचोड़ फेंक इत्मिनान भर दूँ तुझमे
काँधे पे सिर टिका
एहसास हो बस तेरा
न तू कुछ माँगे
न मेरी कोई जिरह हो
जो है दे दे अपना सब
उसमे न कोई कमी हो
गर है कोई उलझन
तो उसका पता खो जाने दे उस पल
हद बेहद न हो पाए
तो, हद की इज़्ज़त भी न ताके उस पल
तू कोई सवाल न पूछे
मैं कोई हिसाब न मांगू
पर पूरे होने की ख्वाहिश
बेमानी वसूली सी न लगे एक पल
कल के बीते और आने की
ख़बर थम जाए चौरस्ते पे
रस्ता न भी भूले
तो, दस्तक देर से दे जाए उस पल।
तो, क्या मैं तुमसे प्यार कर सकती हूं?
ये सवाल तुमसे नही
खुद से है मेरा।

झूठी फरेब चोर हूँ मैं
दबे पांव आ के, तुझ संग जी के
बिना इत्तला किये तुझे
खैरमकदम कर
बीते पल का इतिहास मिटा देना चाहती हूं
तेरे और अपने सवालो से
मुह चुरा लेना चाहती हूं
सवाल तो उठेंगे ही
वाजिब औ ख़यालात से ताल्लुकात रखे
इसलिए
मन ही मन तुम्हे प्यार कर लेना चाहती हूं।
डर, पाबंदी खराश खांसी से है
हिचकी औ च्च्च भी है रस्ता रोके मेरा
तुमसे पहले मुझे मेरा जवाब सुन्ना है
क्या मैं तुम्हे प्यार कर सकती हूं?







4 comments:

Unknown said...

Beautiful words

Satyendra said...

behad sundar rachna hai ye aapki. kaafi Imaandari aur saafgoi pan se likha hai...consistency pays, sarvatha uchit jaan padta hai is rachana k liye. share bhi ki ye toh :)

Satyendra said...

behad sundar rachna hai ye aapki. kaafi Imaandari aur saafgoi pan se likha hai...consistency pays, sarvatha uchit jaan padta hai is rachana k liye. share bhi ki ye toh :)

Unknown said...

Beautiful Garima..👍🏻

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