कोई तो होगा जो ये बताएगा
ये चार चांद कब हुस्न चढ़ायेगा
कोई तो होगा जो ये बताएगा
चकोर की चाकरी से पर्दा उठाएगा
कोई तो होगा जो ये बताएगा
ये रात आधी क्यों मेरे संग आयी है
जा के उसको समझयेगा
आधी उसके गलियारे में टांगी है
कोई तो होगा जो ये बताएगा
इश्क़ दुआ हो या दवा
उसे खाने के बाद रोज़ खिलायेगा
कोई तो होगा जो ये बताएगा
रात चांदी से सोना कर के जाएगा
कोई तो होगा....
मेरी बहती हँसी को रास्ता दिखायेगा
कोई तो होगा जो बताएगा
मेरी चाहतों पे मरना सिखाएगा
कोई तो होगा जो ये बताएगा
सुबह की लुका छुपी वाला प्यार दिखायेगा
कोई तो होगा जो ये बताएगा
में यहां वो वहां...इस सूरज का फर्क समझायेगा
कोई तो होगा जिससे में ये पूछुंगी
बिना जवाब खिलखिला के मैं हसुंगी
वो पगली बोल के यूँ चला जायेगा
में जर्मनी में बैठी रात 10 बजे दिन को जाना सिखाऊंगी
कोई तो होगा फिर जो बताएगा
रात घड़ी से नही सूरज के जाने से है, वो ये सब समझयेगा
कोई तो होगा....
जो मेरी गुड़िया को बचपना खिलायेगा
उसको सवालों के कपड़े पहनायेगा
उसकी खुशियों को चाभी बना के
घर की मोटर से पानी खिचायेगा।
कोई तो होगा....

Comments

Such a nice effort of expressing your imagination. Keep it up��‍��‍����

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