Friday, 24 February 2017

आज उधारी ख़तम कर दी

आज सारी उधारी ख़तम कर दी
कुछ दोस्ती ख़तम कर दी
कुछ यारी ख़तम कर दी
आज सारी उधारी ख़तम कर दी।

कंगाल पड़ी बिस्तर पे
गिनने जो बैठी कमाई
तो पता चला उधारी चुकाते चुकाते
मैंने माँ की दवाई की रकम भी खत्म कर दी
मैंने जीने की एक उम्मीद
उस उम्मीद में बहने वाली वो हँसी
ख़तम कर दी
पर आज वो उधारी ख़तम कर दी।

वो उसका मुझे सताना
दिल भर के प्यार करना
मुझपे भरोसा जताना
सब उधारी का था
कुछ चंद नोटों के साथ
वो हर दिन की कहानी ख़तम कर दी।

गरीबी का रोना
रोयेंगे किससे
उधारी चुका के
बनिया के घर जाने की
रवायत ही ख़त्म कर दी।
बहुत कुछ उसके हिसाब से चलाया
जाते जाते अपनी जान सी प्यारी
एक सिफारिश सी
मेरी नयी किताब वापस कर
सारी साझेदारी ख़तम कर दी।

यारी दोस्ती शाम का उठना बैठना
सारे बहाने थे उससे मिलने के
वो हर बातें ख़तम कर दी।
ख़तम हुआ ये सब
क्योंकि हमने उधार को
दोस्ती और दोस्ती को मोहब्बत यारी समझ
उसके पैसे की चाय पी गए थे
उससे उसके ही घर में
दीवार की रंगाई का रंग बता गए थे
वो ठहरा बनिया
उसे बस काम आता है
ज़िन्दगी का हर सवाल
नफा नुक्सान में ही समझ आता है
हम ठहरे कंगाल,
उसके लिए पूरे बेकाम
ऐसे बेकार से उसने
रुसवाई भली समझी।

हम ठहरे ख़ुदग़र्ज़
हमने उधारी ख़तम कर
अपनी रुखसत की,
यारी की विदाई सही समझी।
बिना बोले सब खाली कर
उधारी ख़तम कर दी।
दिल में अपनी बात रख
उससे जुदाई शुरू कर दी।
आज हमने सारी उधारी ख़तम कर दी।

वो उन नोटों का गठ्ठर
मेरी वो किताब का बंडल
ले के जाता रहा,
मैं धड़कने संभाले
यही सोचती रही
उधारी ख़तम कर
मैंने मेरी एक कमाई ख़तम कर दी।

मैं पड़ी खाट पे
सोचती हूँ,
कैसे समझू
कैसे समझाऊं
दोस्ती मोहब्बत
क्यों मोहताज़ है
क्यों चंद लम्हे
रसूख दिखावा
सब आज़ाद है
हम गरीब तो क्या
दिल के मालिक है हुज़ूर
जितना करोगे औरों संग
उतने में तो हम
वफ़ा की एक पहचान है।
तुम करोगे क्योंकि
तुम बनिया जो ठहरे
पर हम सा वफ़ादार
मिलेगा कोई
ये तुम्हारा ज़िन्दगी भर का
खुद से पूछने वाला
अकेला एक सवाल है।
हम तो बस ज़िन्दगी की सच्चाई समझ
इसका घूँट पी के जी जायेंगे
बिना उधारी भी
माँ का इलाज करा जायेंगे
तुम कही खा गए जो धोखा
पैसा नाम इज़्ज़त लुटा
सिर्फ हम ही तुमको याद आएंगे।

फिर से एक टीस उठी मन में
हमने उधारी ख़तम कर दी
इस आदत का क्या करे
दिल में हो रही हलचल का क्या करे
हमने तो दिल की ये बीमारी ख़तम कर दी।

5 comments:

Unknown said...

Heart touching 😘

Pammi singh'tripti' said...

This is an outstanding poem written with touching beautiful emotions, love it till the end.

Kehna Chahti Hu... said...

Thank you Ekta and Pammi ji :-)

Anonymous said...

Uttam atti uttam. Udhari ko fir se shuru karo ma ki dawai nahi rehni chahiye.

Kehna Chahti Hu... said...

hahaha...kash aap humare 'Baniyaa' ho jate.

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