डायरी


मैंने तुझे क्या छोड़ा
पूरी दुनिया ही राज़दार हो गयी

पनघट पे जो राधा गयी
सारी गोपियाँ बदनाम हो गयी
कान्हा ने तो माखन चखने को
रोका था सुन्दर नैनो वाली को
पर क्या करे, जो,
कमबख्त कांकरिया ही
मटकी पे ना, कमरिया पे वार कर गयी।

तू तो सुन के समझ के
चुपचाप साथ रहती थी
जब चाहा पढ़ा
उस हर बार तू निखरती थी

तेरा दामन क्या छोड़ा
पूरी चूनर ही दागदार हो गयी।

ये राज़दार दुनिया आज खोखली बातों को भी मोहताज हो गयी।





Comments

Unknown said…
मोहताज तो सूरज भी है कबसे चाँद से मुलाकात के लिए,
पर उस गैरत की मुलाकात से सब्र और मोहताज ही अच्छा है।

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