Thursday, 17 December 2015



PAPA....just dont give your ears....give ur heart to it...Enjoy ur emotions with/for HIM. Confess your love.

1 comment:

जमशेद आज़मी said...

बहुत दिनों के बाद आपकी कोई पोस्‍ट ब्‍लाग पर नजर आई है। अच्‍छी पोस्‍ट।

 दुनिया में तमाम उलझने  बगावत सितम के किस्से और ज़ुल्म हैं  मेरे अपने इश्क़ और इंतज़ार की नज़्मों ने जगह रोक रखी है  हैरान हूँ अपनी दीद पर  ...