मुस्कराहट का वज़न कम कर दिया मैंने,
हसने का हर्जाना बड़ा महंगा पड़ा दोस्तों।
जीने में थोड़ी उदासी बढ़ा दी मैंने,
खुश हो के जीना ज़िन्दगी को महंगा पड़ा दोस्तों।
अब तरकीब नहीं सुझाते उसे बेहतरी की,
उसका सुर्ख हो जाना मेरा मर्ज़ बना दोस्तों।
साँसे भारी हो कर पीते है अब,
पहली नज़रो से हल्की साँसों का मिलना धड़कनो पे भारी पड़ा दोस्तों।
कि अब दरवाज़ों पे कुण्डी डाल दी मैंने,
खुली आँखों से बेपर्दा आना बड़ा महंगा पड़ा दोस्तो।
कि वो आएंगे इस इंतज़ार में कई दफे लुटना पड़ा दोस्तों।
कि अब दरवाज़ों पे कुण्डी डाल दी मैंने,
खुली आँखों से बेपर्दा आना बड़ा महंगा पड़ा दोस्तो।
कि वो आएंगे इस इंतज़ार में कई दफे लुटना पड़ा दोस्तों।
4 comments:
your best work till date :)
dont worry, yadi ham apko lootane bhi aaye toh lut kar chale jayenge ;)
बहुत सुंदर .
नई पोस्ट : अपनों से लड़ना पड़ा मुझे
हर शब्द अपनी दास्ताँ बयां कर रहा है आगे कुछ कहने की गुंजाईश ही कहाँ है बधाई स्वीकारें
आभार व्यक्त करती हूँ।
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