सब कहते है वो मेरा भाई था
सब कहते है वो मेरा भाई था ,
तन गोरा मन भी गोरा ,किलकारियों से उसकी खिलखिलाहट थी सबकी ,
न जाना था मैंने, न थी मन में शंका,
होता क्या है भाई, क्या उसका प्यार,
भाई भी है मेरे, प्यार परिवार भी है,
चंद लम्हे में उसने कर दिया उन्हें पराया
बन कर मेरा सगा,
न साथ, न ही खेल पाई,
सब कुछ छोड़ो उसे छु भी नहीं पाई
फिर कैसी ममता कैसा सगापन
जो साथ है अब तक
उनसे कैसी ये दूरी,
क्यों लोग राखी पे मुझे है देखते
क्यों इंतज़ार करती मैं राखी पर उसका,
रखु कैसी उम्मीद,
वो गर न आया तो कोई क्यों आये
जगा गया एक टीस मन में,
की वो भाई था मेरा
मेरा सगा मेरी माँ का दुलारा
नौ महीने उसने उसको है पाला
पर नहीं रास आई उसे दुनिया हमारी
गया वो रोता छोड़कर हमको
वापस न आने की कसम जैसी खायी
गर वो सगा है मेरा,
है वो भाई और बेटा किसी का,
खून है मेरा उसकी रगों में
तो क्यों मेरे आंसू नहीं रुलाते है उसको,
क्यों वो मजबूर हो दौड़ आता नहीं है,
गर इतना मैं रोउ उनके सामने
जिसे तुमने पराया कहा है
यह उम्मीद नहीं, विश्वास है मेरा,
वो दुनिया छोड़
थाम ले मेरा दामन
भर के बाहों में मुझको
प्यार दे वो इतना
जिसके दशांश की उम्मीद है इस सगे से,
फिर भी लोग कहते है
वो भाई था मेरा
सगा था वो मेरा
क्यों नहीं उसको दर्द
पिता के जख्मो से
न रोये वो देख माँ की छटपटाहट
या वो देव ही बन गया निर्दयी
कि आशा की जगा किरण
भूल गया हमको
उसे हम अपने आंसू से बुझाये
अब भी कहोगे कि
सगा था वो मेरा
तो तुम दुनिया वालो
नहीं जान पाए, नहीं सोच पाए,
कि होता क्या है सगा और पराया।
- गरिमा मिश्र
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Thanda Gost shyad issi lay mei likha jaega ...bahut khoob ...