Friday, 14 February 2020

मेरे मरने से तुम ज़िंदा हो जाओगे

मेरे मरने से तुम ज़िंदा हो जाओगे
मेरे दोस्त
आबाद हो जाओगे
हरियाली जन्मेगी
मेरी मौत के संग।
सच कहती हूँ,
इरादा भी रखती हूं
पर दो जान और भी है
जिनसे मैं जन्मी हूँ।
उनके आंगन मातम का किला
मैं अपने हाथों न बना पाउंगी।
कुछ जुगत निकालो
मार दो मुझे
ज़िंदा रख लो बस
मुस्कान भी भर देना
फिर किसी को कान ओ कान
खबर न लगेगी।
क्योंकि मैं जो हूं
वो किसी को पसंद नही।
न तुम्हे न उन्हें
न अपनो में
न गैरों में।
जीने की तमन्ना भी नही
बस यूं ही
जो है सो है।
अब तुमसे मेरी मोहब्बत भी
किराने की दुकान पे पड़े
गुड़ जैसी है
दाम लगता तो है
पर उठती मिश्री है, आखिर में।
मौत मांगती हूँ अपनी
दुआओं में
जितना उनसे प्यार है
उससे ज़्यादा तुमसे है
तुम्हे अपने साथ पा
सिर्फ मुरझाया हुआ पाती हूँ
स्वार्थी हूँ
तभी बदल नही पायी।
मेरा प्यार तुम्हे छुआ नही पायी
मैं जो हूं
वो अच्छी नही, दोस्त।
मार डाल,
फिर,
ज़िंदा रख और मुस्कुराना सीखा दे
इतने से काम से
न तो बदनाम होगा
न बर्बाद होगा
और मेरी मोहब्बत को
इस दुनिया मे इज़्ज़त नसीब हो जाएगी
और
कम से कम,
मैं मुस्कुराते हुए मरूँगी।

हमको घर जाना है

“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...