Not a valentine, though...

मैं हो जाऊं जो बावरी
पत्थर फेंक मार मत देना मुझको
क्या पता किसने इस मासूम दिल को
जन्नत के सपने दिखा
तवायफ के कोठों पे छोडा हो।
क्या पता कब किसने
मीठी बातों की चाशनी में
ज़हर मग भर उड़ेला हो।
मत हसना मेरी सूरत पे
क्या पता हँसी के भूखे होठों को
किसने चीखों की गलियों से मिलाया हो।
उसके घर की किवाड़ पे
तसल्ली का नही झूठे ख्वाब का पिटारा लटकाया हो।
क्या पता कब उससे किसी ने
सपनो की आज़ादी छीन ली हो।
माना, कोई किसी से कुछ छीन नही सकता,
पर बार बार सपनो को,
उन सपनों में छिपे ख्वाबों को,
ख्वाबों की हसरत को,
मरोड़ दबोच निचोड़ सकता है।
जब पिजड़े से प्यार हो जाए
शिकारी से इश्क़ हो जाये
तो इस बावरी को पत्थर न मारना
उसने पहले ही अपनी खुशियो का गला घोंट दिया है।
अपने मरने की खबर तक
उसकी हँसी में अपनी ख्वाहिश को दफ़न देख
उनसे होती करीबी का एहसास लेती है।
इसिलिए ये पगली
अब भी
इस शिकारी से प्यार करती है।

माना इतनी मनहूस ज़िन्दगी
पसंद नही किसी को
आखिरी में तड़कता भड़कता
कुछ जोश चाहिए।
आग लगाई है मैंने
कुछ तुम भी जलो
गीत में वीर रस से नही
खुद में वीर भाव भरो।
ऐसी कोई मासूम कली
मसल के तवायफ कोठे न भेजना कभी।
वहां वीरांगनाए मरी लाश सी मिलती है
सच मानो, वो भी कितनो की रात गुलज़ार करती है।
कभी जो हो बावरी
तो दुत्कारना नही
क्या पता मेरे आंसूं किसी की
बेपरवाही का हिसाब बता रहे हो।
मैं बावरी जो हसू गला फाड़
क्या पता वो मेरे दिल के बवंडर को छुपा रहे हो
एक नई लाश के मातम को
अपना ठिकाना बता रहे हो।
ये बावरी हर घर में बसती हो शायद
एक बार रुक के देख लेना ज़रा
आँखों ने तेरा साथ देने की कसम खायी है, कम्बख्त।

अच्छा, तुझसे जो कह दिया रुक के देखने को
तू सही गलत के हिसाब में
बहक न जाना कहीँ
क्यों कि तू दरिया का किनारा
सागर की गहराई नाप भी लिया
तो अंदर शिथिल सैलाब में
टिक न पायेगा।
ये बावरी ऐसे ही  बावरी नही
इसने कइयों की नज़रों को पीे रखा है
कइयों की जुबां गटक के
चमड़ी नयी बनायीं है।
तू बस देख
क्योंकि तेरे देखने से
उसकी रातों की अनबुझी नींद में
एक थकान टूट जायेगी।
क्या पता वो बावरी
यूँ ही मुस्का के सो जायेगी।

P S - Sorry for the inconvenience due to spelling mistake.

Comments

Rahul RaJ said…
Only one word ....Amazing !! :)
Unknown said…
Speechless to adore the lines...wonderful and nicely written
सारगर्भित लेखन और भावनाएँ...
बहुत बढियाँ ।
Preeti said…
Very well penned down, Garima. Keep it up!
Shreya said…
Beautifully expressed..!!
Shreya said…
Beautifully expressed..!!
Rajendra Shinde said…
Excellent!!!........new dimensions of thinking...... very well written
Satyendra said…
Kya pata muskurane ke baad bhi 'bawari ka bawlapan' na jaye yaa kl fir bawari hojaye.....
Nice lines. Depicts need for women independence and empowerment :)
shukriya in guthe hue kuch adhore shabdon ko matlab dene ke liye... abhaar
अत्यंत सुंदर लेखन.. आपकी लेखनी को प्रणाम्🙏

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