Monday, 12 May 2025

माँ

 इस दुनिया में आने का 

एक ही तयशुदा माध्यम 

पहली किलकारी और रुदन का 

एक तय एहसास 

अगर भाग्यशाली हैं तो 

पहला स्पर्श 

पहला स्तनपान 

पहला ममत्व 

पहला आलिंगन 

वो एक शरीर 

जैविक क्षमताओं से निकल कर

सामाजिक रिवाजों में सनी

अपनी पूरी ज़िम्मेदारी से 

हर दिन कई दिनों तक 

जो सब न्योछावर कर 

पालती है अपनी जिस्म का हिस्सा 

बनाने के प्रयास में 

एक सभ्य मनुष्य 

ना… मनुष्य शायद नहीं 

अच्छा लड़का या लड़की 

अच्छा आदमी या औरत 

अच्छा माँ बाप और इंसान 

ये ज़िम्मेदारी अधिकतर एक हिस्से लग जाती है 

उसे नवाज़ा है 

देवी, माँ, शक्ति और त्याग की मूर्ति के नाम से 

ना वो स्वार्थी हो सकती 

ना क्रोध, ना मोह, ना लोभ 

माँ यूँ ही नहीं बन जाती 

उसे बनाया जाता है 

वैसे तो ये सब एक संत और सिद्ध मनुष्य की पहचान है 

पर माँ बनना एक संत के त्याग और ब्रह्मचर्य से

कहीं ज़्यादा कठिन और कभी कभी पाबंदी का पैग़ाम है 

माँ एक खूबसूरत एहसास है 

वो दर्द के बाद का परिणाम है 

वो सीखा हुआ ज्ञान है 

वो परिश्रम की जीत और अहम की हार है 

बड़ा कठिन है माँ बनना 

अक्सर मायें दुनियावी रंगों में 

एक ताक़तवर पद चाहती हैं

फिर ममता हार जाती है। 

माँ किसी को जनने से माँ नहीं बनती 

वो सीखती है अपने दर्द और परिश्रम से 

आप क्या करेंगे? 

आप उन्हें देवी ना बनायें

उनके कार्य को सराहे और 

साथ दें जब वो अपने काम में 

शरीर और मन से थकने लगें। 

माँ एक इंसान है जो 

अपने काम बखूबी करने का प्रयास करती है। 

माँ

  इस दुनिया में आने का   एक ही तयशुदा माध्यम  पहली किलकारी और रुदन का  एक तय एहसास  अगर भाग्यशाली हैं तो  पहला स्पर्श  पहला स्तनपान  पहला मम...