[5/9, 5:54 PM] garima:
न कही जाने की जुगत है
न ही तलब
पर यहां रुकना भी नही
और जाना भी है
कैसे और कब जाउंगी
और कहां?
[5/9, 5:58 PM] garima:
ठहराव अच्छा मानते है
चरित्र की विशेषता मानते है
न समझ पाती हूँ
न देख पाती हूं
डर हो के भी डर नही है
एहसास बहुत
उनके निशान बहुत
तेज़ सांसो की रफ्तार बहुत
पर मेरी नज़र कही और है
सब नकार
सब संभाल
कुछ भूली
कुछ पगली
उससे
किससे?
मिलना चाहती है
अस्थिरता
ये बेचैनी
चरित्र की
निशानी है क्या?