ओ मोदी जी, मेरे गांव भी आओ जल्दी।
बच्चन भेजो, अनुष्का भेजो
बोलो मेरे यहाँ भी जल्दी आये
बच्चे लाये आदमी लाये
माताएं और बहनें लाये
दरवाज़ा बंद तो बीमारी बंद वाला
नारा इन्हें भी समझाये।
आज सुबह फिर ट्रेन सफर था
बाहर का नज़ारा भी वही था
अध नंगे चाचा ताऊ भैया
खुले में दिख जा रहे थे
इस बार न वो हमसे
न हम उनसे शर्मा रहे थे
हम मोदी बच्चन को याद किये
बस उनको घूरे जा रहे थे।
औरतें नही दिखी
इसका मतलब ये नही कि
दरवाज़ा बंद हो गया
बस भोर में निपटने का स्लॉट बंध गया।
वो अंधियारे में जाती है
काम खत्म कर दुरुस्त हो के आती है।
ओ मोदी जी, मेरी शादी को लड़का मिल गया।
कुंडली मिल गयी,
शौक मिल गया,
शौचालय न मिला,
मामला गड़बड़ हो गया।
मैं भी प्रियंका बन भूचाल हो गयी
कुंडली से मैच लड़का छोड़ बदनाम हो गयी
सब बोले ये तो बन जायेगा
लड़का तहसीलदार हो गया,
ये तो बन ही जाएगा।
हम डर गए शौचालय से सोच जोड़ कर
एकांत में अकेलेपन का घूंट पी कर।
हमारे यहां भी अनुष्का भेजो।
लड़के जल्दी मानेंगे
गांव में बच्चन के नाम पर कुछ नेता
जल्दी शौचालय बनवाएंगे।
बच्चन संग अपने आला कमान भेजना
पता चला बिग बी पे ही मुकदमा चल जाएगा
कई लोग है जिन्हें न घर मिला
न शौचालय
उनका गुस्सा किसी से अब न डर के रह पायेगा।
ओ मोदी जी तुम ही आ जाओ
उत्तर का गांव है मेरा
चुनाव बिगुल बजा जाओ।
कोई एक नई शुरुआत
हमारे यहां से भी कर जाओ।
तुम तो जादूगर हो
नया नया कुछ लाते हो
एक नया प्रसारण
यहां से भी फैला जाओ।
अच्छा, तब तक के लिए
सब लोग खड़े हो के,
जन गण मन बजने वाला है,
उसको सुन के भारत माता की जय नारा लगाओ।