Monday, 22 May 2017

गिर के तू उठे वही
जब हार की भी हार हो।
नभ तलक पुकार हो
जब तेरी सिंह दहाड़ हो।
अश्रु बन भीगा दे लब
बहा तू अशांत नीर को
जो रोकने का साज छेड़े
हटा दे उस ज़मीर को।
तू बना नही जो गिर के
उठने को तैयार नहीं।
नभ तेरा आसमां नहीं
क्षितिज तेरा किनार नहीं।
बाधायें लाख हो मगर
तू उठ खड़ा हो रुद्र बन
विष भी उग्र हो उठे
ऐसी एक कंठ रख।
कमी तुझे झुकायेगी
विनम्रता से दबायेगी
मस्तिष्क चाल खेलेगा
दुर्योधन सा मन,
शकुनि सा हठ निचोड़ेगा।
तू कृष्ण की पुकार सुन
अर्जुन सा धैर्यवान बन
लगे कि घात तीव्र है
तो, भीम सा प्रहार कर।
कठिन गर कठिन लगे
तो, विश्राम से जुगाड़ कर
उसके रुष्ट होते ही
विश्राम मिल पुनः तू प्रहार कर।
है बड़ा वियोग ये
मातृ पितृ भाई मित्र
बना इन्ही को वजीर तू
फिर सह पे मात जीत कर।
इस लगा लगी के खेल में
एक वीरता का मान हो।
एक मुट्ठी हँसी की हो
चुटकी भरा विश्वास हो
साथ हो गुरु का जो
पथ नया प्रशस्त हो।
 तू चले तो बने अनेक
ऐसी एक अस्त्र हो।
चल उठ सजा ये देश
जिसमे हिन्दुस्तां का अर्थ हो।
जहां मानवता प्रवृत्ति हो।



Monday, 8 May 2017

कश्मकश

शराब की महक और
उसके बदन की खुशबू
कुछ चुरा लायी थी
वहां से आते आते
शाम को मेरी चादर से
वो महक रही थी।
मेरी सांसो में
सच, कोई किस्सा नही है ये,
महक रही थी सुबहो में।
मैंने भी गुलज़ार की नज़्मों के बाद
आज महसूस किया
जब उसके पास से वापस आयी थी।

वापस आयी थी
उससे रूस कर
उससे शिकवा किया
तो 'चली जा' कह कर
चला गया वो।
न, मै शिकायत नही कर रही।
या शायद कर रही हूं।
पर इन शिकायत से
वो मोहब्बत की जान निकाल कर
मुझे बेजान छोड़ देता है।

ना माप रही उसकी मोहब्बत
 गुस्सा आंसूं में बहा
शाम चादर से खुशबू ओढ़
यूँ ही बेकाम बितायी है मैंने।
और मान रही हूं तज़ुर्बे से,
कि उसकी मोहब्बत
नए जमाने की कामपरस्ती
और समाज की रवायतों
से डर के बना प्यार है।
जब तक बंद कमरे का है
चले जाने की बाबत
कई दफे आवाज़ उठती रहेगी।

अक्सर कश्मकश में पड़ जाती है जान
इश्क़ है तो चले जाने की बात
तैयार क्यों रहती है लफ्ज़ बन कर
उसे होठों पे
मुझे मार गिराने को
हम नासमझ है
ये मान चुपचाप हट जाएंगे रास्तों से
हमे तो शायद इमरोज़ सा आशिक़ चाहिए
पर अमृता सी हिम्मत और आबरू भी नही है।
न मिलेगा इमरोज़ न अमृता सी उदासी
न वो इश्क़ लुधियानवी
तो चलो गम्मू लिखे कुछ नई मोहब्बत
जहां तू इश्क़ भी करे
और पाप भी करे।
गलतियां भी करे
और इश्क़ भी।


हमको घर जाना है

“हमको घर जाना है” अच्छे एहसास की कमतरी हो या दिल दुखाने की बात दुनिया से थक कर उदासी हो  मेहनत की थकान उदासी नहीं देती  या हो किसी से मायूसी...