Friday, 2 December 2016

क्या लिखूं जो सही हो

क्या लिखू जो सही हो
बन्दर बाट की कहानी
या चींटी की हाथी संग शैतानी
पिछली गर्मी में सियार का बकरी ले जाना
या साइकिल सहित 200 रूपये चोरी हो जाना
प्रियंका का ससुराल न जाना
नेता का पैसा खा जाना
शादी में फिर बिका है लड़का
नयी कहानी लिखती ममता अलका

या फिर करू बड़ी बड़ी बातें
सूखा बाढ़ की कहावतें
नए राज्य का नया शासन
अमरावती और लखनऊ का उदघाटन
चाचा भतीजे का झगड़ा
माँ बेटे का पकड़म पकड़ा
केजरीवाल का सस्तानामा
दिल्ली का धुंआ धुंआ हो जाना
ये सब तो हम कह ही सकते
फिर क्या है जो
बोलू सोचूँ
क्या लिखूं जो सही है

सब की रंगत लौटी है
भारत माँ भी भगवा ओढ़ी है
है विकास का नारा ये
एक प्रचारक ने इसे संभाला है
2014 से खबर बना रहे
इंडिया टॉपम टॉप रहा
130 पे अछा बिज़नस
जैम का कारोबार रहा
जियो की रैली निकली है
काले धन की इज़्ज़त उछली है
लाइन लगता देश दिखा
जो गलत कहे वो
देश का विरोधी बना
अब जन जन सैनिक भाव जगा
लाइन में लगे हर वीर जवान
ईमानदार बना

क्या कहे हो सच हो
लगे की सच हो
सुन के सच की बात उठे
न नेता प्रेमी बन जाऊं
न देश द्रोह का अपराध चढ़े
या फिर मैं असहाय करू इंतज़ार
मीडिया मुझे पढ़ाये तब तक
इनका कारोबार चले
हम वोट दे के
अपनी किस्मत इनके हाथ करे
चल बजरंगी नाच दिखाने
खेला बड़ा मसाला है
समझ न आये
कौन जमूरा कौन नाच नचाता है
धर पकड़ बदर मार गुलाटी
उस्ताद खुद ही फस सा जाता है
पैसा तो सब दोगे ही
मज़ा भी सबको आता है
इसे किसका क्या नुक्सान हुआ
समझे तो समझ आता है
वरना ये डेमोक्रेसी का खाता है
हिसाब तो चलता जाता है


माँ

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